बाल साहित्य (कविता संग्रह):छोटी चिड़िया नीला रंग -प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

बाल साहित्य (कविता संग्रह):छोटी चिड़िया नीला रंग

-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

” छोटी चिड़िया नीला रंग” नामक पुस्तक में बच्चों के लिए चालीस कवितायेँ हैं । कवि प्रोफेसर रवीन्द्र प्रताप सिंह ने जीव जन्तुओ , प्रकृति और बाल भावों को केंद्र में रखते हुए बाल पाठकों के लिए सार्थक और रोचक पाठ प्रस्तुत किये हैं। )

chhoti chidiya nila rang
chhoti chidiya nila rang

1.ट्रेन निकलती

जंगल दिखते , पर्वत दिखते
हरे भरे मैदान भी फैले।
छोटी नदियां , झीलें कितनी ,
कितने जलस्रोत , ताल पोखर।

ट्रेन निकलती पार सभी कर ,
दायें , बायें ये सब दिखते।
शहरों , गावों के पार निकलती ,
दूर दूर हमको ले जाती।

ट्रेन निकलती पार सभी कर ,
दायें , बायें ये सब दिखते।

2.तेज़ चला तूफान रात में

    तेज़ चला तूफान रात में ,
    वर्षा के संग ओले आये।
    खिड़की दरवाजे खटकाकर,
    मौसम ने हमको रखा जगाये।
    सुबह हुयी तो हवा शांत थी ,
    बादल चमक रहे चमकीले।
    टूटी टहनी पत्तों के
    कितने ढेर पड़े थे फैले।

    3.छोटा बंदर लेकर आया

      छोटा बंदर लेकर आया
      आज कहीं से कॉपी एक।
      उसके पन्ने – पन्ने पढ़ता ,
      बैठा डाली से पीठ टेक।

      कुछ पन्नो को यूँ ही देखे ,
      कुछ को देखे कौतूहल से ,
      कभी जोर से खीं- खीं करता ,
      कभी बात करता खुद से।

      छोटा बंदर लेकर आया
      आज कहीं से कॉपी एक।

      4.भालू ने गाना गाया

      पक्षी गिरने लगे पेड़ से
      भालू ने जैसे गाना गाया।
      लगता कितना खुश है वह ,
      लगता अच्छा गाना गाया।
      झूम रहा है नाच रहा ,
      खुश होकर वह झूम रहा।
      बंद मुँह किये हँसे जानवर
      पक्षी गिरने लगे पेड़ से
      भालू ने जैसे गाना गाया।

      5.एक लोमड़ी आयी है

      एक लोमड़ी आयी है ,
      इस वन में कहीं दूर से।
      बहरूपिया कहती है खुद को ,
      कहती उसको जादू आते।
      कहती उसके गाने सुनने ,
      दूर देश से पक्षी आते।
      लेकिन कहती तब गाऊँगी ,
      मेरा मन जब होगा।
      इंतज़ार कर लो तुम बच्चो ,
      देखो कैसा दृश्य दिखेगा।
      एक लोमड़ी आयी है ,
      इस वन में कहीं दूर से।

      6.दो पैरों पर खड़ी गिलहरी

      दो पैरों पर खड़ी गिलहरी
      बहुत ख़ुशी से झूम रही।
      है बसंत आने वाला ,
      शीट ऋतु अब बीत रही।
      ठण्ड में हम सब सिकुड़ रहे थे ,
      कहीं दुबक कर पड़े हुए थे।
      अब बसंत की खुशबू फैली ,
      हम सब निकले करेंगे धूम।
      दो पैरों पर खड़ी गिलहरी
      बहुत ख़ुशी से झूम रही।

      7.बिल्ली सोई रही

      बिल्ली सोई रही दोपहर ,
      चूहे हुए देख कर शांत।
      बोले बिल्ली शांत देखकर
      सारी ऊर्जा गयी है सूख।
      लोग जानते की हम डरते ,
      बिल्ली को जब पास देखते।
      लेकिन बात नहीं है सच ये ,
      हम सभी खेलते उससे खेल।
      बिल्ली जी , अब जाग भी जाओ ,
      हम सब मिलकर खेलें खेल।

      8.बांसों के झुरमुट से होकर

      बांसों के झुरमुट से होकर
      चरमर -चरमर हवा चली।
      एक मधुर संगीत बना ,
      ख़ुशी से डाली झूम रही।
      चिड़ियों का मन डोल गया ,
      हर तरफ खुशी सी फैल गयी।
      बांसों के झुरमुट से होकर
      चरमर -चरमर हवा चली।

      9.हरा भरा है नीम का प्यारा

      हरा भरा है नीम का प्यारा ,
      पेड़ नदी पर खड़ा हुआ।
      एक कूदता बंदर आया ,
      जाकर उसपर कूद चढ़ा।
      टहनी उसकी खूब हिलाया ,
      पाकी निबौली खूब गिराया ,
      खुश होकर बंदर मुस्काया ,
      उसे खेल में मजा जो आया।

      10.पीनी कीड़ा कूद- कूद कर

      पीनी कीड़ा कूद कूद कर
      पहुंच गया घर के अंदर।
      उसे देख कर बच्चा बोला ,
      आओ पीनी स्वागत है।
      थोड़ी देर जरा घूमो ,
      देखो मेरी वहां किताबें।
      होमवर्क पूरा हो जाये ,
      हम दोनों फिर खेलें।
      बातें सुनकर पीनी की ,
      छोटा पीनी मुस्काया।
      और ख़ुशी से पागल होकर ,
      अपने पास बुलाया।

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