बाल साहित्य (कविता संग्रह):एक घोंसला चिड़िया का -प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

6.सिल्वर ओक की पतली डाली

सिल्वर ओक की पतली डाली ,
तोते उसमें लटके हैं।
जाने कैसे रंग ढंग से
खेल खेलने लटके हैं।
उनके गीतों में आती हैं ,
बातें दूर दूर देशों की।
कितने कितने ही बच्चों के ,
उनके प्यारे संदेशों के।
सिल्वर ओक की पतली डाली ,
तोते उसमें लटके हैं।

7.हैं बसंत की सुबह निराली

हैं बसंत की सुबह निराली ,
बुलबुल , तोते , कौवे आये।
चाह रहे हैं वे सब यह ,
बच्चे घर से बाहर आयें।
बच्चे अब तक सोये हैं ,
अपने सपनों में खोये हैं।
कौआ बोलै तोते भाई
आओ मिलकर गीत हम गायें।
गीत हमारे युगल सुरों में ,
जैसे ही गाये जायेंगे ,
बात मान लो मेरे बच्चों ,
बच्चे वैसे ही उठ जायेंगे।

8.बॉलकनी में चिड़ियाँ

बच्चों मिलने आ जायेंगीं ,
बॉलकनी में कितनी चिड़ियाँ ,
थोड़े दाने बिखराओ तो ,
उनको पास बुलाओ तो।
गर्मी से पक्षी भी व्याकुल ,
भटक रहे हैं इधर उधर।
पानी थोड़ा भरकर रक्खो ,
उनकी प्यास बुझाओ तो।
बच्चों मिलने आ जायेंगीं ,
बॉलकनी में कितनी चिड़ियाँ ।

9.गंगा की निर्मल धारा

कल कल बहती निर्मल धारा ,
गंगा की निर्मल धारा।
भारत का इतिहास संजोये ,
कितने वंशों की देख कहानी ,
बहती गंगा की निर्मल धारा।

गांव -गांव जल धारा लेकर ,
कृषकों को खुशियां देती है।
गंगा की लहरें खुशियां ले ,
जन मन को हर्षित कर देती हैं।
कल कल बहती निर्मल धारा ,
गंगा की निर्मल धारा।

10.हैं बसंत की खुशियां छायीं

हैं बसंत की खुशियां छायीं ,
इस बसंत में होली आयी।
चिड़िया ख़ुशी ख़ुशी आती हैं ,
बुलबुल भी गाना गाती है ।
तोते डाली पर झूले हैं ,
कितनी सूंदर बेलें हैं।
कई रंग की दिखें पत्तियां ,
हर रंग ढंग में रंगी पत्तियां।
खुशियां आकर छायी हैं ,
ऋतु बसंत की आयी है।

11.मौसम आते हैं खुशियां ले

मौसम आते हैं खुशियां ले ,
जन मानस में ऊर्जा भरते।
अपने गुण से , अपनेपन से ,
हर मन को हर्षित कर देते।
हर मौसम का अपना अनुभव ,
हर मौसम का अपनापन है।
हर मौसम के अपने भाव भरे हैं ,
हर मौसम से जीवन रूप धरे हैं।
मौसम आते हैं खुशियां ले ,
जन मानस में ऊर्जा भरते।

12.सरसों के फूलों से खुशियां ,

सरसों के फूलों से खुशियां ,
हरा भरा है क्षितिज दूर तक
महक रहे हैं रास्ते गलियां।
है बसंत का मौसम आया ,
गाँव -नगर खुशियां ले आया।
फसलें पकने को आयीं हैं ,
गावों में खुशियां छायी हैं।
धरती का है हर्ष हर तरफ ,
है बसंत का दृश्य हर तरफ।
कर्तव्यनिरत यदि रहें

अगर कहीं कुछ कमी रह गयी
तब हम उसपर चर्चा कर लें ,
कोई कार्य करने से पहले
उस पर चिंतन मंथन कर लें।
सतत निरत अभ्यास करें जब
तब होते परिपूर्ण कार्य।
कर्तव्यनिरत यदि रहें हमेशा ,
चाहे जैसे हों काम बनें।

13.बादल उड़ता उड़ता चलता

बादल उड़ता उड़ता चलता ,
नीचे तेज बहाव नदी का
बातें करते दोनों मिलकर।
सागर से दोनों का रिश्ता ,
दोनों कहते हम जीते हैं ,
हम चलते हैं परोपकार वश।
जल से हम दोनों का रिश्ता ,
जल हम सब के मन में बसता।

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *