पुस्‍तक समीक्षा: काव्य संग्रह-शब्द गाते हैं

पुस्‍तक समीक्षा: काव्य संग्रह-शब्द गाते हैं

गीतात्मक भाव को एक नया आस्वाद देती काव्य संग्रह-शब्द गाते हैं

-डुमन लाल ध्रुव

पुस्‍तक समीक्षा: काव्य संग्रह-शब्द गाते हैं
पुस्‍तक समीक्षा: काव्य संग्रह-शब्द गाते हैं

पुस्‍तक समीक्षा: काव्य संग्रह-शब्द गाते हैं

गीत कंठ से निकलती है पूर्व जन्मार्जित संस्कारों से ही । श्रीमती कामिनी कौशिक में शायद बचपन से ही यही संस्कार है । श्रीमती कामिनी कौशिक का जन्म 28 जुलाई 1962 को स्वनामधन्य माता स्वर्गीय श्रीमती यशोदा देवी, पिता स्वर्गीय ठाकुर प्रेम प्रताप सिंह के घर में हुआ।

प्रेरक गीतों का संग्रह ’’शब्द गाते हैं ’’ श्रीमती कामिनी कौशिक की प्रकाशित कृति है। जिसमें राष्ट्रीयता , पर्यावरण , समरसता और मादकता की पह चान स्पष्ट दिखाई देती है । गीतों में कोमल भावनाएं , हृदय का पराग , अनुभव , अनुभूति संवेदनाएं , कल्पनाएं और सृजन का प्रवाह है । श्रीमती कामिनी कौशिक के गीत अनेक आयामों से गुजरता है और अपने समकालीन नए तेवर को तरंगायित करते हैं ।

अद्भुत गुणों की खान तुम,
अद्वितीय प्रतिभा स्वरूप हो ।
भक्तों का जीवन धन्य करने ,
अन्नपूर्णा सविता रुप हो ।।

गीतात्मक अभिव्यक्ति आज के गीत की प्रवृत्ति बन गई है । किन्तु कवयित्री श्रीमती कामिनी कौशिक के गीत संग्रह ’’शब्द गाते हैं’’ में विशिष्ट रचनात्मकता, अंतरावलोकन और अन्तरानुभूति के गायन परिलक्षित होते दिखाई देती है।

प्रेम मुझे है एक समान,
ऊंच-नीच का नहीं है ज्ञान
स्वार्थ के सारे जड़ मिटाकर
फैलाता सब में सद्ज्ञान
चलो हम पौधे रोपें चलो हम पौधे लगायें।।
जीवन में खुशियां बिखेरने
तुम सब के लिए आया हूं ।
मुझे प्यार से पास रखो तुम,
प्यार का पैगाम में लाया हूं
चलो हम पौधे रोपें चलो हम पौधे लगायें।।

श्रीमती कामिनी कौशिक के गीत अपनी धरती की सुगंध में डूबे और उनके गीतात्मक भाव को एक नया आस्वाद देते हैं । समय के परिदृश्य को आच्छादित करते हैं । कुछ ऐसा ही वृद्धजन और परिचित परिवेश वाली बिम्बात्मक शब्दावली को गढ़ते हैं ।

अच्छे बुरों का ज्ञान कराया,
जीवन का हर मार्ग सजाया ।
ताज पहनकर आज खड़े हैं, इनका किया श्रृंगार है ।
मिला धरा को स्नेह इन्हीं से , मिला इन्हीं से प्यार है ।।
’ ’ ’
लाती है संदेश हवाएं,
गंगा स्नेह बहायें ।
अटल सुरक्षा हिमगिरी करता,
देश का मान बढ़ायें ।
देश प्रेम के भाव जगाकर गुलशन को महकायें ।
भेदभाव को मिटा प्यार से , गीत प्रेम से गायें ।।

’’नारी तू कोमल है , कमजोर नहीं ’’ नारी जीवन की कहानी को दोहराते हुए नारी के प्रति अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करते हुए नारी के त्याग और बलिदान को इस गीत में गा उठा है –

गर्विता, हर्षिता , सुष्मिता
पवित्रता , विनम्रता , विभूषित
समदर्शिता , समरसता, सहनशीलता
समर्पण की साक्षात प्रतिमूर्ति होती है ।
नारी तू कोमल है , कमजोर नहीं होती है।।
अद्भुत, अनुपम, अद्वितीय महिमा
ममत्व , प्रेरक और दिग्दर्शक गरिमा
सृजन, प्रजनन , पालन संहार, विशेषतायुक्त
खुशी, प्रेम , आनंद की त्रिवेणी में सभी को डुबोती है ।
हे नारी ! तू कोमल होती , कमजोर नहीं होती है ।

प्रेरक गीत संग्रह ’’शब्द गाते हैं’’ में श्रीमती कामिनी कौशिक ने प्रार्थना गीत, स्वागत गीत, पर्यावरण गीत, हिंदी गीत, सद्भावना गीत, देश भक्ति गीत, नव निर्माण गीत, ऋतुराज बसंत, वसुन्धरा जैसे गीतों का सृजन किया । जीवन पर्यंत काव्य सृजन करते रहें। शुभकामनाएं …

-डुमन लाल ध्रुव
प्रचार-प्रसार अधिकारी
जिला पंचायत-धमतरी
मो. नं. 9424210208

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