क्या पहने, क्या नहीं; कैसे पहने, क्यों पहने! हम लोग स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालय में पढ़े,…
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एक साहित्यिक चर्चा: अविश्वसनीयता का विसर्जन-डा.अर्जुन दूबे
रंग मंच पर अभिनय के क्षेत्र में, नाटकों में, सिनेमा सदृश अन्य विधाओं में, साहित्य के…
व्यंग्य: ठेठ बातें-प्रो. अर्जुन दूबे
मानव बनाम स्थान, नाम, रंग, भाषा, धर्म, सर्वशक्तिमान, आवरण और उसके औजार । मानव बनाम कितने?…
व्यंग्य: किसे मैं याद करूं ? -डॉ. अर्जुन दुबे
आदि कवि वाल्मीकि जी तमसा नदी में स्नान कर रहे थे; क्रौंच युगल नर मादा क्रीड़ा…
व्यंग्य: परिधान की भाषा-डॉ. अर्जुन दुबे
क्या कहते हो, परिधान की भी भाषा होती है? किसकी भाषा नहीं होती है! भाषा ही…