छत्‍तीसगढ़ी नवगीत: नवा जमाना के नवा समस्‍या-रमेश चौहान

चना होरा कस, लइकापन लेसागे पेट भीतर लइका के संचरे ओखर बर कोठा खोजत हे, पढ़ई-लिखई…

देश भक्ति गीत-कविता-रमेश चौहान

देश मेरा भक्ति मेरी, भक्ति का मैं धर्म हूँ । राष्ट्र मेरा कर्म मेरा, कर्म का…

भारत माता की आरती- मातरम मातरम मातरम मातरम -रमेश चौहान

स्वर्ग से है बड़ी यह धरा मंगलम मातरम मातरम मातरम मातरम मातरम मातरम मातरम मातरम मातरम…

रासपंचाध्यायी रासलीला अध्‍याय-4. विहल गोपियों के मध्‍य श्रीकृष्‍ण का प्रकट होना

श्री शुकदेवजी बोले, परीक्षित सुनो कथा । व्रज गोपियों की ये, विरह पीर की व्‍यथा ।।1।…

लोकप्र‍चलित मुक्‍तक की संपूर्ण जानकारी

लोकप्रचलित मुक्तक का संबंध उर्दू साहित्य से है । गजल के मतला के साथ मतलासानी चिपका…

रासपंचाध्यायी रासलीला अध्‍याय-3. गोपिका गीत

कनकमंजरी छंद में रचित इस गोपिकागीत का शिल्‍प की दृष्टि से दो विशेषता है एक प्रत्‍येक…

पर्यावरणीय समस्‍या का मूल-भूमि अतिक्रमण

आज सारा विश्व पर्यावरणीय समस्या से जूझ रहा है, ‘ग्लोबल वार्मिंग‘ शब्द ट्रेन कर रहा है…

छत्‍तीसगढ़ी कथा-कविता:किसान के पीरा-रमेश चौहान

ये कविता म एक गाँव के किसान अउ किसानी के समस्‍या ल एक कहानी के रूप…

किसान अउ किसानी के कविता-रमेश चौहान

नांगर बइला फांद, अर्र-तता रगियाये जब-जब धनहा मा, किसनहा गाँव के । दुनिया के रचयिता, जग…

छत्‍तीसगढ़ी हाना छत्तीसगढ़िया लोकजीवन की गाथा-रमेश चौहान

हिन्दी भाषा में जिसे कहावत कहते हैं, उसे ही छत्‍तीसगढ़ी भाषा में हाना कहा जाता है…