बाल साहित्य (कविता संग्रह):छोटी चिड़िया नीला रंग -प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

21.वीर बहूटी लगती मखमल

वीर बहूटी लगती मखमल ,
पीला पत्ता देख चली।
कौतूहल से देख रहे ,
मन में है उनके हलचल।
चार पांच हैं एक साथ ,
नन्हे -नन्हे कीड़े यह।
कितने सूंदर लाल सुर्ख ये ,
मखमल के नन्हे टुकड़े।

22.भारत महिमा के ये गायक

भारत महिमा के ये गायक
भारत की सुदृढ़ शक्ति गाते हैं ,
भारत की महिमा गाते हैं।
ये गायक चलते रहते हैं ,
पूरे भारत में जाते हैं।
मन में इनके लाख कथायें ,
ये भारत का इतिहास जानते।
वंशों का इतिहास जानते ,
प्राचीन कथा , पुराण जानते।
ये गायक चलते रहते हैं ,
भारत महिमा गाते रहते हैं।
भारत महिमा के ये गायक
भारत की सुदृढ़ शक्ति गाते हैं ,
भारत की महिमा गाते हैं।

23.नया घोंसला बना रही है

नया घोंसला बना रही है
चिड़िया तिनके लाती है।
कहीं कहीं से लायी रेशे ,
और कहीं से सूंदर धागे।
पतली घास कभी ले आती ,
कभी एक छोटी सी लकड़ी।
पेढ़की चिड़िया ,बच्चा बोला ,
इसे फाख्ता कहते हैं।
शांत स्वरों में बोला करती ,
सुबह से कामों में लग जाती।
काम में अपने बड़े ध्यान से
सुबह सुबह ही लग जाती।
नया घोंसला बना रही है
चिड़िया तिनके लाती है।

24.अमलतास के पेड़ पर

अमलतास के पेड़ पर कितने
सूंदर सूंदर फूल खिले।
हरी पत्तियां छिपी कहीं ,
प्यारा कितन पेड़ लगे।
उसपर कितनी नीली चिड़ियाँ
और लाल ,भूरी सी बुलबुल।
और न जाने कितने भँवरे
मधुमक्खी , तितली की गुन गुन।
एक दृश्य है कितना प्यारा ,
यही प्रकृति का रूप निराला।

25.आज सुबह से ही आँगन में

आज सुबह सूर्योदय पर ही
दिखी चार मैना गातीं।
नीबू के हरे भरे पत्तों को ,
शायद मैना अपना कहतीं।
हरी पत्तियों में गूंथे हैं ,
नन्हे पीली धवल पुष्प।
खुशबूदार पत्तियां सूंदर
मैना उसमे रही है घूम।
आज सुबह से ही आँगन में ,
गीत गान की मची है धूम।

26.जंगल में त्योहार

जंगल में होली का त्योहार ,
जंगल में होली का त्योहार।
फूलों से हैं रंग बने ,
पंखुड़ियों से रंग बने।
तरह तरह की घासें हैं ,
खुशियां जैसे बरस रहीं।
जंगल में होली का त्योहार
जंगल में होली का त्योहार।

27.जंगल में आयोजन है

जंगल में हैं गीत बज रहे
जंगल में हैं गीत बज रहे ,
आज गीत संगीत की बातें।
आज बड़ा हैं आयोजन ,
जंगल में संगीत दिवस।
आज सभी गायेंगे मिलकर ,
हाथी , शेर और बंदर।
सज धज कर आ कर बैठी है ,
वहाँ लोमड़ी और गिलहरी।
सभी ख़ुशी से पागल हैं ,
जंगल में आयोजन है।

28.बिल्ली मिठाई वाली

बिल्ली मिठाई वाली ,
कितनी प्यारी अच्छी।
इधर उधर वह चलती रहती ,
आती रहती , जाती रहती।
जहाँ जहाँ दीखते हैं उसको ,
कोई दुःख में जीव जंतु ,
जितना हो पाता है उससे ,
उनकी मदद वह करती।
वह खाती है खूब मिठाई ,
फिर वह सबको खूब खिलाती।
बिल्ली मिठाई वाली ,
कितनी प्यारी अच्छी।

29.मालती मोती नन्ही चिड़िया

मालती मोती नन्ही चिड़िया ,
घास पर उड़ती , घास पर चलती।
घास के छोटे फूल वह चुनती
फूल उठाकर ,चुन चुन कर
वह पत्तों पर ला रख देती।
फिर छोटी चिड़ियों को लाकर
सबको लाकर वहाँ बुलाकर
प्यारी प्यारी बातें करती।
मालती मोती नन्ही चिड़िया ,
घास पर उड़ती , घास पर चलती।

30.खैराबुन्नी

खैराबुन्नी उतर रही थी
पेड़ की ऊंची चोटी पर।
उसे दिखीं दो नन्ही चिड़ियाँ ,
किसी लाख से चिपकी।
शायद किसी बहेलिये ने
लाख वहाँ चिपकायी।
जैसे कोई चिड़िया बैठे
चिपक वह उसमे जाये।

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