आज की कविताएं लगता है कि अब यहां निर्जीव ही बसे हैं और मर चुकी है…
Tag: निर्जीव
आज के दौर की कविताएं-पिनाक वीरेन्द्र कुमार पटेल
आज के दौर की कविताएं कई दिनों के बाद सड़क पर सन्नाटा छाया है बाग बगीचों…
आज की कविताएं लगता है कि अब यहां निर्जीव ही बसे हैं और मर चुकी है…
आज के दौर की कविताएं कई दिनों के बाद सड़क पर सन्नाटा छाया है बाग बगीचों…