बालगीत टन-टन घंटी बाजत हे। चल-चल, स्कूल बलावत हे। पढ़ई-लिखई जिनगी हे। सार बात समझावत हे।
Category: छत्तीसगढ़ी कविता, छंद, ग़ज़ल
बाल गीत- नानी के घर जाबो (सार छंद)
छुट्टी होगे गरमी के अब, नानी के घर जाबो। पढ़ना-लिखना छोड़ अभी हम, नँगते मजा उड़ाबो।।
छत्तीसगढ़ चालीसा-कन्हैया साहू ‘अमित’
छत्तीसगढ़ चालीसा छत्तीसगढ़ राज्य के गौरव गाथा आवय जेमा छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक छटा,रीति-रिवाज, तीज-तिहार, देव-धामी, नहर-नदिय,…
कवि भरत ‘बुलंदी’ के छत्तीसगढ़ी कविता
कवि भरत 'बुलंदी' पारम्परिक छत्तीसगढ़ी गीत गणेश वंदना गीत गनपति के ले शुरु करत नंदावत हमर…
छत्तीसगढ़ी देश भक्ति गीत: छत्तीसगढ़िया सभिमानी ला
भारत के आजादी के अमृत महोत्सव के बेरा समर्पित हे छत्तीसगढ़िया स्वतंत्रता सेनानी ल श्रद्धा सुमन…
मोर चार ठन छत्तीसगढ़ी कविता-खिबीराम साहू
सावन के हे ए महीना, उमड़े हे घटा घनघोर । सबके बिगड़े बनइया, बिनती ल सुनले…
सम्राट पृथ्वीराज चौहान गौरव गाथा (आल्हा छंद)
सबले पहिली माथ नवावय, हाथ जोर के तोर गणेश । अपन वंश के गौरव गाथा, फेर…
आल्हा चालीसा (आल्हा छंद)-कन्हैया साहू “अमित”
आल्हा चालीसा म आल्हा के जीवन चरित्र अउ पराक्रम के वर्णन ओखरे नाम म बने पराक्रम…
दोहा जनउला-अजय “अमृतांशु”
माटी के चोला हवय, आँच परे पक जाय। गरमी के मौसम रहय, सबके प्यास बुझाय।।
बालोद परिचय गाथा-कन्हैया लाल बारले
'बालोद परिचय गाथा' मधुर साहित्य परिषद ईकाई डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़ ) के अध्यक्ष भाई…