धरती महिमा नँदिया तरिया बावली, जिनगी जग रखवार। माटी फुतका संग मा, धरती हमर अधार। जल…
Category: छत्तीसगढ़ी कविता, छंद, ग़ज़ल
धर्मेन्द्र निर्मल के देवीगीत
धर्मेन्द्र निर्मल के देवीगीत दाई तोर दरस बर आए हौं लाल टिकुली लाल चुरी लाल चुनरी…
होली गीत : धर्मेन्द्र निर्मल के पॉंचठन होली गीत
होलीगीत धर्मेन्द्र निर्मल के पॉंचठन होलीगीत फागुन रंग रंगे अमराई, महुआ महक जगाए। लाल गाल के…
छत्तीसगढ़ी हास्य कवितायें-मनोज श्रीवास्तव
मनोज श्रीवास्तव की छत्तीसगढ़ी हास्य कवितायें- सुन अभिलाषा बिन के लासा चल खेलबो तीरी-पास तीरी-पासा तीरी…
रस छंद और अलंकार का उदाहरण छत्तीसगढ़ी में
रस छंद और अलंकार का उदाहरण छत्तीसगढ़ी में एकेठन छंद सार छंद के एकेठन कविता ये…
ग़ज़ल: बहरयुक्त कुछ छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
गज़ल एक तुकबंदी कविता न होकर एक पैमाने में लिखी गई कविता होती है जिसे बहर…
परिवार पर छत्तीसगढ़ी कविता-धर्मेन्द्र निर्मल
परिवार पर कविता - छत्तीसगढ़ी कविता बाबू धराके अँगरी बचपन ले,रेंगे ल सिखाथे बाबूजी। सुख दुख…
प्रदूषण पर छत्तीसगढ़ी कविता-प्रदूषण-श्लेष चंद्राकर
शंकर छंद में श्लेष चंद्रकार का प्रदूषण पर कविता आज प्रदूषण सेती बदलत, हवय गा जलवायु।…
कोराना ऊँपर छंद कविता-रमेश चौहान
कोराना ऊँपर छंद कविता - ये कोरोना रोग, लॉकडाउन ला लाये । रोजी-रोटी काम, हाथ ले…
पंथीगीत संग्रह:रमेश चौहान के 5 ठन पंथीगीत
छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध संत परम पूज्य घासीदास का यशोगान पंथीगीत कहलाता है । यहां पंथी 5…